भारतीय संविधान देश के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है अर्थात् देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी विषय पर अपनी स्वतंत्र राय रखने और उसे अन्य लोगों के साथ साझा करने का अधिकार है, परंतु कई स्वतंत्र विचारकों का सदैव मानना रहा है कि सूचना और पारदर्शिता के अभाव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई महत्त्व नहीं रह जाता। सूचना का अधिकार भारत जैसे बड़े लोकतंत्रों को मज़बूत करने और उनके नागरिक केंद्रित विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।
देश के विशाल आकार और विविधता, विकासशील तथा संप्रभुता संपन्न धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में इसकी प्रतिष्ठा, तथा एक भूतपूर्व औपनिवेशिक राष्ट्र के रूप में इसके इतिहास के परिणामस्वरूप भारत में मानवाधिकारों की परिस्थिति एक प्रकार से जटिल हो गई है। भारत का संविधान मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिसमें धर्म की स्वतंत्रता भी अंतर्भूक्त है। संविधान की धाराओं में बोलने की आजादी के साथ-साथ कार्यपालिका और न्यायपालिका का विभाजन तथा देश के अन्दर एवं बाहर आने-जाने की भी आजादी दी गई है।
सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।